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देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
हुं हुं हुङ्काररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
यस्तु कुञ्जिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
ऐं-कारी सृष्टि-रूपायै, ह्रींकारी प्रतिपालिका।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
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देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
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